Tuesday, June 19, 2012

Collection of pearls from LK Pt V from Jagmohan Mahajan


लाल किताब ... बिखरे मोती 21
by Jagmohan Mahajan on Wednesday, June 13, 2012 at 6:17pm ·
हर माँ  बाप की इच्छा होती है कि बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा , अच्छे से अच्छा स्कुल कालेज , जिसमें शिक्षा अच्छे से मिले  , उसी में दाखिल करवाया जाये ! और हर माँ बाप यही करते भी हैं ! सब कुछ मन मुताबिक ही चल रहा है...बच्चे के अध्यापक , रिश्तेदार सब खुश हैं कि बच्चा लायक है....होनहार है  ! माँ बाप का नाम रोशन करेगा !  अच्छा कालेज .. अच्छी शिक्षा ! जहाँ तक तो सब ठीक है ...अब उम्र हो चली है शादी की ! माँ बाप को चिंता होने लगी ! शादी के लिए रिश्तेदारों को ...जानकारों को कहना शुरू कर दिया ! अख़बार में विज्ञापन भी दे दिया ! बेटी है या बेटा कोई अंतर नहीं ...जब जवान हो जाएँ तो माँ बाप शादी की ही सोचते हैं ! लेकिन अचानक एक दिन पता चलता है कि माँ बाप जहाँ शादी करना चाहते हैं ..बच्चे ने इंकार कर दिया ! जहाँ माँ बाप चाहते हैं उस , रिश्ते में कोई कमी नहीं ..बराबर का है लेकिन लड़का या लड़की मान नहीं रहे ...माँ बाप से वो बगावत पर उतारू हो गये ! जहाँ वो चाहते हैं (लड़का /लड़की )  माँ बाप नहीं मान रहे ! घर से भाग कर अदालत में जाकर शादी कर ली ! ऐसी शादी का फल कैसा होगा  !  लाल किताब के अनुसार :-


जिनका भी शुक्र खाना / भाव नम्बर 5 में हो उनके लिए हिदायत है कि :-


आशिकाना मुहब्बत के नतीजा पर की हुई शादी या माँ बाप की मर्ज़ी के बिना की गयी शादी
और वो भी लड़की की खूबसूरती की वजह से ..तो ऐसे प्राणी की औलाद उसे बाप न कहेगी
या बाप न मानेगी  ! या ऐसी औलाद बाप के काम न आयेगी !


यह हिदायत सिर्फ और सिर्फ शुक्र पाँच वालो के लिए है ! मेरे देखने में यह आया है कि जैसे ही शुक्र पाँच वाले ने माँ बाप की मर्ज़ी के बगैर शादी की बाद में यही लोग बहुत खराब हुए ! जवानी में प्यार हो जाना कोई बड़ी बात नहीं ..शादी के लिए माँ बाप को मान जाना चाहिए या नहीं इसमें दो राय हो सकती हैं ...लेकिन जैसे ही माँ बाप को पता चले की औलाद की कुंडली में शुक्र पाँच है ....और वो शादी अपनी मर्ज़ी से करना चाहता है..तुरंत हामी भर दे ! अगर बेटे/बेटी की जिद के आगे झुक कर या ख़ुशी से शादी में शामिल ना होना मज़बूरी से होना  ... भी शादी का फल खराब करेगा ! ऐसे ही आप बच्चो को समझा सकते हैं ..कि बिना मर्ज़ी से की गयी शादी कोई अच्छा असर नहीं देगी ! अगर शादी कामयाब हो भी गयी तो औलाद काम ही नहीं आयेगी ! मैं एक ऐसे जोड़े को जानता हूँ जिसने घर से भाग कर शादी की ..दोनों के शुक्र पांच है ,, अब दो लड़कियां हैं उनके ! अब वो डर रहे हैं कि जो कुछ उन्होंने किया था.. अब उनकी बेटियां भी वैसा न कर लें ! सरकारी नौकरी है ! मान-सम्मान पूरा है , लेकिन अन्दर ही अन्दर उनको डर खाए जा रहा है ! रोजाना सुबह छोड़कर आते है और खुद ही लेने जाते हैं कालेज से ! इसी वजह से उनके बच्चे (बेटियां ) भी परेशान हैं ! पढाई में भी पिछड़ रही हैं दोनों ! अगर आपकी कुंडली में भी शुक्र पांच है तो माँ बाप की मर्ज़ी से ही शादी करें ! अगर बच्चो की कुंडली में शुक्र पाँच है तो आप अभी से उनको समझाना शुरू कर दें या जहाँ वो कहें तुरंत शादी के लिए मान जाये ताकि उनकी शादी और शादी का फल (औलाद) उनको अच्छा मिले ! मैं किसी भी तरह की शादी के खिलाफ नहीं हूँ .....लेकिन अगर शादी का फल ही ना मिले तो अच्छी बात नहीं है ! आज यह बाते बच्चो को समझ नहीं आयेंगी ...........लेकिन कल को यही बाते जब याद आयेंगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी !

लाल किताब ... बिखरे मोती 22
by Jagmohan Mahajan on Thursday, June 14, 2012 at 4:47pm ·
कर भला होगा भला ...सदियों से यही सुनते आ रहे हैं ..अटल सचाई है जिसे आज तक कोई नहीं झुठला पाया ! जैसे आप दुसरो के लिए सोचते हैं वैसे ही आपको फल प्राप्त होते हैं ! अक्सर गुस्से में हम लोग आपा खो देते हैं और किसी को भला बुरा कह देता हैं ! चाहे हमारी नियत ऐसी न हो क्षणिक गुस्से में ही बोला गया है ऐसा !  ऐसे ही किसी पर जब  खुश होते हैं तो उसकी भलाई की कामना करते हैं ...उसके लिए अच्छे अच्छे ... शब्द जिस से उसका अच्छा हो भला हो , कह देते हैं ! पहला जो है उसको बद दुआ या श्राप कह सकते हैं और दुसरे को आशीर्वाद या दुआ कह सकते हैं ! यह वो बाते हैं जो हर कोई जानता है ! लेकिन क्या किसी की दुआ या बद दुआ का असर होता है ? हाँ....... बिलकुल होता है और आज के जमाने में भी होता है ! लाल किताब के अनुसार :-


जिनका भी बुध खाना / भाव नम्बर 5 में हो उनके लिए लिखा है :-

खुशहाल -उसके मुंह से निकला हुआ ब्रह्मवाक उत्तम होगा !

जुबान से पता नस्ल तेरी जो चलता
उसे काबू फिर क्यों न तू करता !


अर्थात जिस व्यक्ति के भी बुध पांचवे भाव में होगा अगर वो अचानक भी कोई अच्छी बात किसी के लिए भी कह दे ... तो उस बात की ,, पूरी होने की सम्भावना शतप्रतिशत के लगभग है ! शायद ही उसके मुंह से निकला हुआ अच्छा शब्द पूरा न हो ! क्योंकि इसके साथ साथ लाल किताब में यह भी लिखा है ज्ञान भंडार उसके मुंह से निकला हुआ ब्रह्मवाक (अचानक कही हुई बात ) का असर उत्तम व नेक होगा ! यह तो हुई नेक व आशीर्वाद जैसी बात ! लेकिन इसके साथ साथ मैं उनको ..जिनका भी बुध पांच में है यह हिदायत भी देता हूँ (मैं जातक को लिख कर देता हूँ ) कि कभी भी किसी के लिए बुरा न सोचे और न ही करें ! अगर अच्छी बात पूरी हो सकती है तो बुरी बात भी पूरी हो सकती है ! जो दुसरो के लिए खडा खोदता है खुद भी खडे में गिरता है ! इस बारे भी बुध पांच वाले के लिए लाल किताब में लिखा है (जब बुध मंदा हो ) ...इंसान और हैवान में सिर्फ ज़बान  का फर्क है मगर पता नहीं चलता कि अब उसकी ज़बान  को क्या हो गया  है यानि खुद उसकी अपनी ही ज़बान खराबी का बहाना  होगी ! मतलब  साफ़ है कि बुध पांच वाला  अगर अच्छी जुबान/सोच  का मालिक हुआ तो बहुत ही अच्छा अगर खराब सोच/जुबान का मालिक हुआ तो अच्छा फल नहीं देगा ! दुसरो को आशीर्वाद देना या उनके लिए भला कहना तुझ को कामयाबी देगा और बुरा कहना/सोचना खराबी का बहाना होगा ! फैसला आपका ... आप क्या चाहते हैं !  ऐसे ही अगर आपके पास  कोई बुध पांच वाला आये तो आप उसकी सोच को सही दिशा में सोचने / करने कि सलाह दें जिस से उसका भी भला हो और वह दुसरो का भी भला कर सके  ! क्या पता उसके मुंह से निकला हुआ आशीर्वाद किसी को अच्छा कर दे ! जिस से उसका भी भला हो जाये!
लाल किताब ... बिखरे मोती 23
by Jagmohan Mahajan on Sunday, June 17, 2012 at 3:30pm ·
सोच ..जैसे ही सोच बदलेगी ..काम भी बदल जायेगा ! काम बदल जायेगा से भाव यह है कि काम का नतीजा बदल जायेगा ! सोच गन्दी होने से काम मंदा होना शुरू हो जायेगा ! गन्दी सोच को बदल कर जैसे ही सोच को अच्छा किया ..नजरिया बदला ... काम का नतीजा चमत्कारिक रूप से बदलने लगा ! सब कुछ अच्छा होने लगा ! सिर्फ सोच ही नहीं बदलनी उसको अमली जामा भी पहनाना है ! सत्संग में जाने को लोग / ऋषि मुनि क्यों कहा करते थे  ??  वहां अच्छी अच्छी बाते सुन कर इन्सान अपनी सोच को भी बदल लेता था / है ! इसीलिए सत्संग का महत्व है !  बिना वजह ही भाइयों में मनमुटाव आम बात हो गयी है ! शायद कोई वजह भी हो सकती है ...घर का बटवारा पसंद नहीं आया या भाई ने ही बेईमानी कर ली ! भाईओं में मनमुटाव की बहुत सारी वजह हो सकती हैं ! लेकिन अगर भाई ने बेईमानी की या चलता काम / व्योपार अपने पास रख लिया तो आप अपने मन में कोई गिला शिकवा न रखे ! भाई छोटा है तो आप यह समझे कि आपने अपनी मर्ज़ी से उसको ज्यादा दे दिया अगर बड़ा भाई है तो आप यह समझे कि उसने आपको मेहनत करने का मौका दिया है ! बात सिर्फ सोच को आशावादी करने की है ! लाल किताब के अनुसार :-


जिनका भी मंगल खाना / भाव नम्बर में हो उनके लिए लिखा है :-

भाइयों की पालन करता हुआ लोह लंगर का मालिक !!

गिरे नज़र से भाई अपने जो तेरे

पहाडा 2 दूनी का 2 तुझको घेरे  !!!


अर्थात जैसे ही मंगल दो वाले ने अपने भाई को अपनी नज़र से गिरा दिया या उसका अहित सोचने लगा ..वैसे ही उसकी उन्नति रुक जाएगी ! अकसर बचपन में जब स्कुल में पड़ते थे ...पहली क्लास में .. पहला सबक जो याद कराया जाता था..हिसाब का ..वो यही हुआ करता था..आपको भी बखूबी याद होगा
एक दूनी दूनी ..या एक दूनी दो
दो दूनी चार
मतलब कि दो का पहाडा ...दो को दूनी बोला गया है ! (यानि दो गुणा) अब दो को दो से गुणा करे तो जवाब चार होना चाहिए ! लेकिन यहाँ तो दो दूनी दो ही बोला गया है ..क्यों क्योंकि जैसे ही मंगल दो वाले ने अपनी नज़र से अपनी भाई को गिरा दिया उसका पहाडा / उन्नति यहीं रुक जायेगा कभी चार नहीं हो पायेगा ! लेकिन अगर मंगल दो वाले ने अपनी उन्नति करनी है तो उसको अपने भाइयों के लिए अपने मन से वैर निकालना ही पड़ेगा ! जैसे ही यह अपने भाइयों की पालना करने लग जायेगा लोह लंगर का मालिक बन जायेगा !

लोह लंगर का मालिक  >> ऐसे व्यक्ति के द्वार से कोई खाली हाथ नहीं जायेगा सब के लिए खाने पीने का समान हर समय मौजूद ... !!

ऐसा व्यक्ति जब भी किसी की सहायता करना चाहेगा .... धन दौलत / माया की ज़रूरत पड़ेगी ..पूरी हो जाएगी ! खुद अपने लिए या अपनी ज़रूरत चाहे पूरी न हो ! दुसरो को / अपने भाईओं को करोडो दे सकता है ,, पाल सकता है , अपनी शर्त नहीं है ! लेकिन यह सब तभी होगा जब वो अपने भाइयों के लिए अपने मन में बैर न रखेगा ! वर्ना दो दूनी दो ही रहेगा ! उन्नति के लिए ..दो दूनी चार के लिए भाइयों के लिए दुआ .. भाइयों के लिए अच्छे की कामना करना .. निहायत ही ज़रूरी है ! भाइयों के मन में आपके लिए क्या है ..यह उनका अपना मसला है ..लेकिन आपके मन में अपने भाइयों के लिए क्या है ...बस इसी पर गौर करें ...! दो दूनी चार अवश्य होगा ! इस से आप अपना खुद का वह दुसरो का भी भला कर सकते हैं !
लाल किताब ... बिखरे मोती 24
by Jagmohan Mahajan on Monday, June 18, 2012 at 7:13pm ·
क्यों क्या हुआ ...?
पुलिस क्यों घर आयी है ?
क्या यह शख्श कोई गलत धंधा करता है या गैर क़ानूनी काम किया है इसने कोई ?
अक्सर पड़ोस में या किसी न किसी के साथ ऐसा हो जाता है ! ऐसा क्या कर दिया
इसने कि बात पुलिस तक पहुँच गयी और पुलिस को घर आना पड़ा ! न तो इस शख्श
का कोई इस तरह का हेराफेरी वाला काम है और न ही कभी गली - मोहल्ले में या
एरिया में यह शख्श बदनाम है ! अपने काम से काम रखता है और जब भी किसी को
ज़रूरत पड़ी ..उसका साथ दिया ! अपने एरिया में इसकी इज्ज़त मान भी ठीक ही है !
एरिया के लोग भी इसके दुःख सुख में शामिल होते हैं और यह भी उनके  दुःख सुख का
साथी है ! पड़ोसियों के पूछने पर पता चला कि इसने किसी की जमानत दी थी ......
जिसकी जमानत दी थी वो भाग गया और उसी वजह से पुलिस इसके घर आई है  !
अगर सबके साथ ऐसा होने लग जाये तो कोई भी किसी कि जमानत न देगा !
क्या जमानत देना वास्तव में गलत बात है या कोई खास ग्रह भी आपको यह बता
सकता है कि जमानत न दें ! लाल किताब के अनुसार :-


जिनका भी शुक्र खाना / भाव नम्बर 8 में हो उनके लिए हिदायत है कि :-

कब्र दुसरे की न जब कोई पड़ता
कसम पर जमानत क्यों फिर तू भरता  !!


अर्थात आज तक कोई भी ऐसा नहीं हुआ जो किसी की कब्र में खुद पड़ गया हो !
फिर तेरे को ऐसा क्या हुआ की तू दुसरो की कब्र में पड़ना चाहता है !
शुक्र आठ वाला जब भी किसी के लिए कसम खायेगा या जमानत देगा कभी भी
अच्छा फल नहीं मिलेगा ! हश्र वही होगा जैसा की ऊपर ब्यान किया गया है !
शुक्र आठ वाले को अपने किसी भी सगे संबधी /  मित्र या किसी भी जानकार के
लिए जमानत देना या उसके लिए कसम खाना  कभी भी नेक या उत्तम नहीं होगा !
साफ़ मना कर देना ही अच्छा रहेगा ! कई बार हालात ऐसे बन जाते हैं की जमानत
देनी ही पड़ जाये तो फिर उसका नतीजा भी भुगतने को तयार रहना चाहिए शुक्र आठ
वाले को ! नतीजा यही है कि खुद भुगतना पड़ेगा ..जिसकी जमानत दी ..जिस वजह से दी ..
उसकी भरपाई आपसे करवाई जा सकती है ! अगर शुक्र आठ वाला इसके लिए त्यार है तो फिर ख़ुशी ख़ुशी जमानत दे दे ! अगर आपके या आपके किसी जानकार के शुक्र आठ है तो आप भी खबरदार हो जाये और किसी दुसरे को भी खबरदार कर दें कि जमानत देना ऐसा ही है जैसे किसी दुसरे की कब्र में खुद पड़ना ! 

लाल किताब ... बिखरे मोती 25
by Jagmohan Mahajan on Tuesday, June 19, 2012 at 2:46pm ·
अमानत ...आपके पास अगर कोई कुछ रख जाये वो अमानत कहलाता है !
अगर आप उसे वापिस न करे तो अमानत में खयानत कहलाता है ! आप किसी
से कुछ लें  आये और वापिस नहीं करने गए या उसके मांगने पर मुकर ही गए
तो भी अमानत में खयानत कहलाएगी ! या किसी से किसी बहाने कोई वस्तु
मांगी और वापिसी न की ...या वापिस लेने वाला ही न रहे .... वापिस नहीं देने
गए कि लेने वाला ही नहीं रहा अब कौन मांगेगा ...  तो भी यह अमानत में खयानत
ही है !  इन छोटी छोटी बातों का बहुत ही महत्व है ..देखने में यह छोटी बात हो
सकती है ...लेकिन यह आपके लिए कई बार बहुत ही नुकसान-देह साबित हो सकती
है ! और कोई सपने में भी नहीं सोच सकता कि ऐसा किया गया या बेध्यानी में हो
गया ...तो उसका बुरा फल प्राप्त हो रहा है ! लाल किताब के अनुसार :- 


जिनका भी सूर्य खाना / भाव नम्बर 12 में हो उनके लिए हिदायत है कि :-
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अमानत का मार लेना ...सूर्य की उत्तम आग को गंदे पेशाब से बुझाने जैसा ही होगा !!
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अर्थात जैसे ही सूर्य बारह वाला किसी की अमानत मारेगा ..सूर्य अपनी चमक बहाल
नहीं करेगा या ऐसा शख्श जिंदगी में चमक नहीं पायेगा ! हर इन्सान चाहता है कि वो
चमके ... उसका भी नाम हो ! लेकिन क्या ऐसे काम किये जा रहे हैं जिस से नाम हो !
नेक नियति और चालचलन वैसा है जैसा कि चमकने के लिए होना चाहिए ? जैसे ही
सूर्य बारह वाले ने अमानत में खयानत की ...चाहे जानबूझ कर या अनजाने में ..सूर्य
अपनी चमक कम कर देगा ! अनजाने में कैसे हो सकती है ? छोटा सा उदाहरन दे कर
समझा सकता हूँ ! बड़े शहरो में ही नहीं बल्कि आजकल छोटे शहरो या कस्बो में भी
किट्टी पार्टी या कमेटी चलाने का चलन है ! जैसे ही किसी को उस के पैसे मिले ...अगर
वह यह समझे कि वो उन लोगो की अमानत है जो उस किट्टी  पार्टी के सदस्य हैं ! जिसको कि उसने समय पर या मांगने पर या बिना मांगे ही लौटाना है ! लेकिन बहुत से लोग इस बात का महत्व नहीं समझते और यह रकम मार लेते हैं ! क्योंकि यह रकम समय पर ही देनी होती है ..इसको समय पर न देना या बिलकुल ही न देना एक जैसा ही है ! जो लोग भी ऐसा कर रहें हैं या करते हैं ...वो अपना सूर्य ही कमज़ोर कर रहे हैं ..सूर्य अपनी चमक पूरी तरह नहीं देता ! अगर ऐसे में इस तरह की आदत वाले का सूर्य खाना / भाव  नम्बर बारह में हुआ तो तबाही का आलम ....बहुत ही बुरा वक़्त गुजरने लग जायेगा ! इसी तरह से और भी बहुत कुछ हो सकता है जो अमानत के दायरे में आता हो ...आपने खुद सोचना है कि इस तरह की कोई अनजाने में या जानबुझ कर या किसी जिद्द की वजह से आप किसी का समान / रकम न लौटा रहे हों और जब से ऐसा हुआ है आपका समय / हालात खराब चल रहे हो तो ..जिसका समान आपके पास है ..किसी की  रकम आपने कोई... जो भी अमानत के दायरे में आये देनी है , तुरंत दे दें या समान लौटा दे जिस से सूर्य अपनी चमक बहाल कर दे और आप भी समाज में चमक सके ! आपके मन में है कि आपने किसी से पैसे लिए ...यह कह कर कि आप वापिस दे देंगे ...लेकिन लेने वाला कहीं चला गया या वो रहा ही नहीं तो ? ऐसी हालत में आप
यह पैसा उसके परिवार के अन्य सदस्य जो कि उसकी पत्नी...भाई...बहन...माँ बाप को दे दें ! जिस से आपका अमानत में खयानत का दोष दुर हो सके ! ऐसे ही आप अपने लिए वह अपने जानकार जिनका सूर्य बारह हो हमेशा के लिए ख़बरदार कर सकते हैं कि अमानत में खयानत कभी न करे !
जिस से सूर्य अपनी चमक बहाल रखे ! आप सदा सूर्य की तरह चमके इसकी प्रार्थना भगवान से करता हूँ !

Thanking You,
Regards,
Vijay Goel
Astrologer and Vastu Counselor,
Mob : 92145 02239
email : goelvj@gmail.com
www.IndianAstroVedic.com

Collection of pearls from LK Pt IV from Jagmohan Mahajan


लाल किताब ... बिखरे मोती 16
by Jagmohan Mahajan on Monday, May 14, 2012 at 11:20pm ·
घर में ख़ुशी का माहौल है ! कोई त्यौहार  गया  ! घर के सब सदस्य खुश हैं कि ख़ुशी से त्यौहार मनाएंगे ! 
किसी रिश्तेदार के घर / पारिवारिक सदस्य के घर किसी मंगल कार्य के लिए जाना है ,, त्यारी चल रही है , 
प्रोग्राम घर में बन गया कि सब चलेंगे ! कहने का भाव यह है कि कोई भी ख़ुशी का मौका हो ..
घर के सब सदस्य मिल बैठ कर मनाते हैं ! इस में किसी भी तरह से दो राय नहीं है ! 
हंसी ख़ुशी त्यौहार या फंक्शन मनाया जाता है ! क्या सब घरो में ऐसा ही होता है ! जवाब है हाँ ! 
लेकिन अचानक ही किसी घर में इसके उल्ट होने लग जाये तो ? 
जैसे ही घर का कोई सदस्य बालिग हुआ या अपने को बड़ा समझने लगा ..वो हर ख़ुशी के मौके पर घर में क्लेश का वातावरण उत्पन करने लग गया ,,, बिना किसी वजह के !  ऐसा हो सकता है !! 
क्योंकि लाल किताब के अनुसार :-


जिनका भी राहू जन्म कुंडली के खाना / भाव नम्बर 5 में है अगर वो व्यक्ति 
ख़ुशी दिन में त्यौहार -काफ़िर जो बनता 
निशानी लावल्दी की - पैदा वह करता  !!  

अर्थात जिनके भी राहू खाना / भाव नम्बर 5 में  हो अगर वो घर में त्यौहार / ख़ुशी के मौके न मनाये तो एक तरह से खुद ही औलाद के योग मंदे कर लेगा !



जैसे ही कोई ख़ुशी का मौका आएगा ,, ऐसा व्यक्ति जिसके राहू 5वें होगा कोई न कोई अड़चन खड़ी कर देगा ! जिस से ख़ुशी का मौका बेदिली से या बिना हर्शौउल्हास  से मनाया जायेगा ! इसको इस तरह से समझे कि घर में शादी का उत्सव है ..लेकिन इस (राहू 5 वाले ने ) ने जिद पकड़ ली है कि अगर इस उत्सव में वो (कोई भी रिश्तेदार हो सकता है /जीजा ..मामा ..चाचा ) आयेगा तो वो नहीं आयेगा ! घर से भाग जायेगा ! घर में कलेश खड़ा हो गया ! अगर बच्चा है तो ऐसे मौके पर वो किसी नए मॉडल के फोन की जिद कर बैठा...अगर बिलकुल छोटा बच्चा है तो किसी कपडे की या खिलोने की जिद कर बैठा जिस से माँ बाप परेशान हो गए ! मतलब यह की किसी को भी ख़ुशी सही तरीके से नहीं मनाने दी ! अगर ऐसा ही राहू 5 वाला कर रहा है तो .....अगर बच्चा है तो उसको समझाए ताकि आगे चल कर औलाद सुख मिल सके ! अगर बड़ा है तो उसको भी किसी तरीके से समझाए - मनाये और  हंसी ख़ुशी सभी इस में शामिल हों ! जिस से आगे चल कर किसी तरह की मुश्किल न आये ...औलाद के मामले में ! 
लाल किताब ... बिखरे मोती 17
by Jagmohan Mahajan on Tuesday, May 15, 2012 at 5:54pm ·
शकुन अपशकुन कब और कैसे प्रचलन में आए कोई नहीं जानता ! कुछ लोग इसको वहम कह कर बच निकलते हैं और कुछ लोग हर तरह का वहम पाल लेते हैं ! क्या यह सब ग्रहों के आधार पर हो सकता है या मनघडंत बाते हैं !  अगर किसी को किसी काम पर जाते हुए कोई अपशकुन सा हो जाये (जैसा उसका वहम आदि हो) तो काम नहीं होता , ऐसा उसका मानना है , यही बात उसने अपने दोस्तों / रिश्तेदारों को बताई , वो भी इस वहम को मान बैठे ! आसान सा कारन है इसका , आपको बताता हूँ , ग्रहों के आधार पर कि यह कैसे संभव हुआ होगा ! कुंडली के बारह खाने / भाव होते हैं ! किसी भी तरह का वहम अगर किसी एक पर लागु हो , ग्रहों के आधार पर तो वो कुल दुनिया के आठ प्रतिशत लोगो पर लागु हो ही जायेगा ! किसी ने कहा मेरा काम नहीं हुआ ...जब काम पर जा रहा था , तो ऐसा हो गया कि काम ही नहीं बना , अब उसकी बात दुनिया के आठ प्रतिशत लोगो पर लागु होगी ! हो सकता है कि जिसको बताया उसका कोई ग्रह उसी खाना / भाव में हो जो उस के लिए  वहम न हो कर एक चेतावनी हो कि अगर इस तरह का ग्रह हो तो ऐसे वक़्त काम नहीं बनेगा ! बात फ़ैल गयी और वहम कि हद तक लोगो ने मानना शुरू कर दिया ! क्योंकि आठ प्रतिशत लोगो ने ही उस को बड़ा चड़ा कर कहना शुरू कर दिया ! सब से बड़ा वहम किसी भी काम पर जाते समय छींक का आना या किसी दुसरे का छींक देना ! यह वहम या असलियत ! आयिए जानते हैं कि इस बारे लाल किताब क्या कहती है ! लाल किताब के अनुसार :--


जिनका भी राहू खाना / भाव नम्बर 6 में हो उनके लिए हिदायत है कि :-

आगे से उल्ट छींक मंदे असर की पहली निशानी होगी !


अर्थात जिनका भी राहू खाना / भाव नम्बर 6 में हो अगर वो कहीं काम के लिए जा रहे हों / घर से या दफ्तर से निकले सामने से किसी ने छींक दिया तो काम पर न जाये ! राहू 6 वाले को इसको पूरी तरह से मानना चाहिए वर्ना वही नुकसान में रहेगा ! अब यह वहम नहीं है बल्कि परहेज़ है , जिसे मानकर उसका अपना ही भला होगा ! यह सिर्फ राहू 6 वाले के लिए ही नहीं है बल्कि राहू 12 वाले को भी इसकी पालना करनी चाहिए क्योंकि उसके लिए लाल किताब में लिखा है , नेक काम शुरू करने के वक़्त आगे से उल्ट छींक मंदे नतीजे की पहली निशानी होगी ! जैसा की ऊपर लिखा है वहम कैसे फैला होगा ! अब खुद ही देखे कि अगर कुंडली के दो घरो / भाव में इस तरह की मनाही है तो सोलह प्रतिशत ( ज्यादा हो सकता है ) के लिए मनाही हो गयी ! तो फिर परहेज़ जो राहू 6 - 12 वाले व्यक्ति ने करना है , वहम कैसे न बन जायेगा ! आप भी इसको माने अगर आपका भी राहू 6 या 12 में है ! दुसरे लोगो को भी इसको मानने के लिए कहें जो आपके पास आते हैं अगर उनका भी राहू इन्ही घरो / भाव में हो !

लाल किताब ... बिखरे मोती 18
by Jagmohan Mahajan on Wednesday, May 16, 2012 at 5:43pm ·
व्योपार के लिए जब भी किसी को किसी भी तरह की माली  मदद की ज़रूरत होती है तो उधार ले लिया जाता है ! या फिर किसी रिश्तेदार / मित्र /जानकार  से हिस्सेदारी कर ली जाती है ! या कोई नया काम करना है और एक से ज्यादा लोगो की काम में ज़रूरत है ,, या कोई हिस्सेदार मिलाना है जिस से काम अच्छा चल पाए ! ऐसे में एक ही सोच मन में आती है कि हिस्सेदारी किस से की जाये ..दोस्त-मित्र  या क्या कोई रिश्ता ऐसा भी हो सकता है कि हिस्सेदारी करने से नुकसान होगा या फायदा इसका कुछ पता चल सके ! हिस्सेदारी अगर करनी ही है तो किस से करे या कैसे लोगो से करे ! लाल किताब के अनुसार :-


जिनका भी चन्द्र + शनि किसी भी खाना / भाव में इकठे हों उनके लिए हिदायत है कि :-- 

किसी दुसरे के साथ से जो हम उम्र हो या बहिसाब उम्र दूसरी उम्र का साथी हो से धन पैदा होगा और शनि मदद देगा !!


अर्थात ऐसे व्यक्ति को जिनका भी चन्द्र + शनि इकठे एक ही खाना / भाव में हो (युति हो) ऐसे व्यक्ति को अगर हिस्सेदारी करनी ही है... तो अपने उम्र के बराबर लोगो से करे ...रिश्ते में वो चाहे बड़े ही क्यों न हो ! अक्सर देखने में आता है कि कई बार रिश्ता तो बड़ा होता है लेकिन उम्र करीबन करीबन एक जैसी होती है !जैसे कि चाचा/मामा आदि ! अगर ऐसा व्यक्ति अपनी उम्र से ज्यादा बड़े लोगो से (ताया या कोई और रिश्ता) से मिलकर या अपने किसी ऐसे दोस्त के साथ या अपने किसी लेनदार/देनदार जो उसके काम का माहिर हो मिल कर काम करेगा ...उम्र का अंतर अगर ज्यादा हुआ (छोटी/बड़ी उम्र) तो काम अच्छा फल नहीं देगा ! अच्छे फल के लिए अपने हम उम्र के साथ ही काम करना फायदेमंद रहेगा ! मेरे देखने में तो यहाँ तक आया है कि शादी भी ऐसे लोगो की नाकामयाब हुई है अगर उम्र का अंतर ज्यादा हुआ तो ! अंतर १-२ साल का ठीक रहेगा ! अगर कोई आपको काम में मिलाना चाहता है कि आपके पास रकम है और उसका काम और बड जायेगा अगर चलते काम में पैसा मिलाया जाये तो ... उसका भी  काम कम होने लग जायेगा और आपको भी नुकसान होगा अगर चलते हुए काम में हिस्सेदारी की ..अगर यहाँ पर भी आपने उम्र का ध्यान नहीं रखा तो ! हिस्सेदारी करते समय सावधानी रखे और ऊपर लिखी हिदायत का पालन करें और उन लोगो को भी जिनका चन्द्र + शनि इकठा (युति) है इसकी पालना करने को कहे जिस से उनको भी फायदा हो सके !
लाल किताब ... बिखरे मोती 19
by Jagmohan Mahajan on Monday, June 4, 2012 at 1:06pm ·
घर का मुखिया ..परिवार का मुखिया हमेशा ही घर/परिवार का सबसे बड़ा सदस्य जो हो उसीको ही बनाया जाता है ! यह सदियों से चली आ रही रीत है ! लेकिन आज जब संयुक्त परिवार ही नहीं रहे तो कौन इन रीतो की परवाह करता है ! आज हर कोई अपने घर / परिवार का मुखिया बनना चाहता है ! उम्र चाहे छोटी हो या बड़ी ..इस से कोई मतलब नहीं ! बस घर उसके इशारो पर चलना चाहिए ! घर बिखरता है तो बिखर जाये ..सही चल रहा है या नहीं ..कोई परवाह नहीं ! अपनी कम्पनी जहाँ काम करता है उसको सुचारू रूप से चला रहा है या सुचारू रूप से चल रही है  ..मालिक लोग भी प्रसन्न हैं..लेकिन घर सुचारू रूप से नहीं चल रहा ..हर कोई नाराज़ है ..घर में बरकत भी नहीं ..कलह क्लेश भी हो जाता है कभी कभार ! ऐसी हालत में क्या करना चाहिए ..लाल किताब के अनुसार :-


जिनका भी शुक्र खाना / भाव नम्बर 1 में हो उनके लिए हिदायत है कि :-

घर की नम्बरदारी (मुखिया बनना) न सिर्फ अपनी बल्कि बाकी ताल्लुकदारो की भी तबाही का बहाना होगी !


अब शुक्र लग्न वाला ( खाना / भाव नम्बर 1 जिसे लगन भी कहते हैं  ) जैसे ही अपनी मर्ज़ी से घर को चलाने की कोशिश करेगा ...घर में क्लेश शुरू हो जायेगा ..चाहे घर उसी की कमाई से ही क्यों न चलता हो ! कम्पनी जहाँ वो काम करता है सिर्फ उसी की मर्ज़ी से नहीं चलती ! वहां हर काम एक दुसरे से सलाह मशविरा करके किया जाता है ! ऐसे ही व्योपार में होता है ! लेकिन जैसे ही शुक्र लग्न वाले ने अपनी मर्ज़ी करने की जिद्द की ..वैसे ही उल्ट पुल्ट होना शुरू हो जायेगा वो चाहे व्योपार हो या घर ! ऐसे व्यक्ति को हमेशा अपनी मनमर्जी जिद्द से नुकसान ही होगा ...लेकिन वोही काम अगर घर/कम्पनी के दुसरे सदस्यों से राय करके करे तो सही नतीजा देगा ! सलाह से भाव यह नहीं की आपने उनकी किसी भी तरह की राय पर अपनी ही मर्ज़ी लाद देनी है ..कहना नहीं मानना ..राय से भाव यह है की जो भी नतीजा निकले उसी पर अमल करना है ! जैसे ही शुक्र लगन वाला अपनी मर्ज़ी या जिद्द से घर का मुखिया बनेगा ..हो सकता है ,,, घर के दुसरे सदस्यों को शायद नागवार गुज़रे वो कहना नहीं मानेगे या हो सकता  है कि यही व्यक्ति गलत निर्णय ले ले जो घर के हित में न हो ..जिस से घर परिवार  बिखर सा जाये ! इसीलिए शुक्र लग्न वाले को एक ही राय दी जाती है कि मुखिया न बन कर सलाह लेकर काम करना अच्छे फल देगा ! अगर सलाह लेने से घर में शांति का ..बरकत का माहौल बन सकता है तो नुक्सान ही क्या है ! करना तो सबको ऐसा ही चाहिए लेकिन शुक्र लग्न वाले को इसे करना बहुत ही ज़रूरी है !
लाल किताब ... बिखरे मोती 20
by Jagmohan Mahajan on Tuesday, June 12, 2012 at 4:44pm ·
आज कल पुराने रीती रिवाज़ मान कर कोई भी खुश नहीं ...या आप इस तरह कहें कि लोग अपने रीती रिवाज़ भूलते जा रहे हैं ! कुछ रीती रिवाज़ इस तरह से हुआ करते थे कि किसी दुसरे का उस में शामिल होना ज़रूरी होता था ! हर ख़ुशी /ग़मी के मौके पर पहले कुल पुरोहित को याद किया जाता था ! आज लोग अपने कुल पुरोहित के बारे कुछ जानते ही नहीं ! जब भी कोई नया फल/सब्जी मौसम के अनुसार घर में आती थी ..मेरी माता जी सब से पहले मंदिर में उसका कुछ हिस्सा रख कर आया करती थी,, फिर घर में उसका प्रयोग होता था ! आज भी मेरी पत्नी इसको निभा रही है ! ऐसे ही एक रस्म है.. पित्रों के नाम पर श्राद्ध जिसे तक़रीबन लोग भूलते जा रहे हैं और आजकल ब्राहमण / पंडित लोग भी इस काम के लिए घर नहीं आया करते ! समृधि सम्पन्त्ता इसका कारण हो सकता है ! क्या सिर्फ श्राद्ध के दिनों में ही ब्राहमण लोगो को कुछ दिया जाना चाहिए ! लाल किताब इस बारे क्या कहती है ! लाल किताब के अनुसार :-


जिनका भी चन्द्र खाना / भाव नम्बर 8 में हो उनके लिए हिदायत है कि :-

बजुर्गो के दिन चीज़ चन्द्र जो देता ..
रुके न कभी सांस जब तक हो लेता !


अर्थात चन्द्र आठ वाले को हिदायत दी गयी है कि बजुर्गो के दिन ....श्राद्ध के दिन जो निश्चित हैं वो पित्रों को समर्पित किये गए हैं ..इन दिनों ब्राहमण  / पंडित लोगो को घर बुला कर उनको खिलाया जाता था ..उनको दान दक्षिणा दे कर विदा किया जाता था और यह माना जाता था की अगर ब्राहमण तृप्त हो गए तो पित्र तृप्त हो गए !लेकिन अगर चन्द्र आठ वाला बजुर्गो के नाम पर दूध पिलाएगा तो उम्र तो बढेगी ही लेकिन कई और तरह के नुकसान होने से भी बचाव होता रहेगा ! अगर चन्द्र आठ वाला ब्राह्मणों को दूध (चन्द्र ) नहीं पिलाएगा तो उसको दमा -मिर्गी  या लावल्दी तक हो सकती है ! लावल्दी यानि की बिना औलाद के ऐसा शख्श हो सकता है ! इसलिए इन बीमारियों या कमजोरी से बचने के लिए चन्द्र आठ वाले को यह सलाह दी जाती है की वो अक्सर अपने बजुर्गो/पित्रों के नाम पर ब्राह्मणों को दूध पिला दिया करे ! अपनी सुविधा अनुसार आप इसके लिए हर महीने की अमावस्या चुन सकते हैं..हर शनिवार का दिन चुन सकते हैं ..रोजाना पिला सकते हैं..कोई बंदिश नहीं ...लेकिन श्राद्ध अवश्य किया करे और साथ में उनको दूध अवश्य पिलाये , जिनको श्राद्ध का खाना दिया जा रहा है ताकि चन्द्र आठ अच्छे फल दे सके ! यह वो बातें हैं जो सबको करनी चाहिए लेकिन कम लोग निभा पा रहे हैं ,लेकिन चन्द्र आठ वाले को इसको एक नियम मान कर करना चाहिए ! 


Thanking You,
Regards,
Vijay Goel
Astrologer and Vastu Counselor,
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